शेरू भालू और जादुई झील

शीर्षक: शेरू भालू और जादुई झील

बहुत समय पहले की बात है, एक घना और सुंदर जंगल था, जिसका नाम था हरियावन। इस जंगल में सभी जानवर मिल-जुलकर रहते थे, और एक दूसरे की मदद करते थे। उसी जंगल में एक बड़ा सा भालू रहता था, उसका नाम था शेरू। शेरू बहुत ही सीधा-सादा और नेक दिल था। उसे पेड़ों की छांव में सोना, नदी में मछलियां पकड़ना और बच्चों को कहानियाँ सुनाना बहुत पसंद था।

शेरू का सबसे अच्छा दोस्त था चंचल नाम का खरगोश। चंचल तेज़ दौड़ने में माहिर था और पूरे जंगल में मशहूर था। दोनों हर दिन मिलकर मस्ती करते, फल खाते और झील के किनारे बैठकर बातें करते।

रहस्यमयी सपना

एक रात शेरू ने एक अजीब सा सपना देखा। उसने देखा कि जंगल के सबसे पुराने पेड़ के नीचे एक जादुई नक्शा छुपा है, जो एक जादुई झील की ओर ले जाता है। उस झील का पानी जो भी पिए, उसे समझदारी, हिम्मत और शांति मिलती है।

सुबह होते ही शेरू ने चंचल को अपना सपना सुनाया। चंचल ने कान खुजाते हुए कहा, “भाई, ये तो बड़ा मजेदार सपना है! क्यों ना हम सच में उस पेड़ के नीचे जाकर देखें?”

शेरू मुस्कुराया और बोला, “चलिए, कोशिश तो करनी चाहिए।”

जादुई नक्शा

दोनों दोस्त जंगल के सबसे पुराने और विशाल पेड़ के पास पहुँचे। पेड़ की जड़ों के पास उन्होंने खुदाई शुरू की, और थोड़ी ही देर में एक चमकदार धातु की संदूक मिल गई। संदूक खोलने पर उसमें एक प्राचीन नक्शा था, जो एक पहाड़ी के पीछे छिपी झील का रास्ता दिखा रहा था।

शेरू ने नक्शा ध्यान से देखा और बोला, “हमें पहाड़ पार करना होगा, फिर घने बांस के जंगल से गुजरना होगा। आखिर में एक गुफा आएगी, जो जादुई झील तक ले जाएगी।”

कठिन सफर की शुरुआत

शेरू और चंचल ने अपने सफर की शुरुआत की। रास्ते में कई मुश्किलें आईं। कभी कांटों से भरी झाड़ियों ने रास्ता रोका, तो कभी बारिश और तूफान ने। लेकिन दोनों दोस्त एक-दूसरे की मदद करते हुए आगे बढ़ते गए।

बांस के जंगल में उन्हें एक भूखा हाथी मिला, जो रास्ता रोक कर बैठा था। शेरू ने उसे केले दिए और चंचल ने उसे पानी लाकर पिलाया। हाथी खुश हुआ और उन्हें आगे का रास्ता दिखा दिया।

फिर एक गुफा आई, जिसके बाहर एक चील बैठा पहरा दे रहा था। चील ने पूछा, “क्यों आए हो इस रहस्यमयी गुफा में?”

शेरू ने विनम्रता से कहा, “हम सच्चे मन से आए हैं, जादुई झील की तलाश में। हमें कोई बुराई नहीं करनी।”

चील ने मुस्कुराते हुए रास्ता दे दिया।

जादुई झील का रहस्य

गुफा पार करते ही एक मनमोहक झील नजर आई। पानी नीले आसमान जैसा चमक रहा था, और उसके चारों ओर रंग-बिरंगे फूल खिले थे। झील के ऊपर एक तितली उड़ रही थी, जो बोल सकती थी!

तितली ने कहा, “शेरू और चंचल, तुम्हारा दिल साफ है। तुमने इस सफर में दया, दोस्ती और ईमानदारी दिखाई है। अब तुम झील का पानी पी सकते हो।”

शेरू और चंचल ने झील का थोड़ा पानी पिया। उन्हें अचानक बहुत शांति महसूस हुई। शेरू को महसूस हुआ कि वह अब और समझदार हो गया है। चंचल को भी महसूस हुआ कि वह पहले से ज्यादा धैर्यवान हो गया है।

लौटना और सीख बाँटना

जब दोनों दोस्त जंगल लौटे, तो उन्होंने सभी जानवरों को अपनी यात्रा की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि असली जादू झील में नहीं, बल्कि रास्ते में की गई मदद और अच्छाई में है।

शेरू जंगल का सबसे समझदार जानवर माना जाने लगा और चंचल सभी बच्चों का प्रिय बन गया। अब वे दोनों हर दिन जंगल में घूमते, दूसरों की मदद करते और बच्चों को बताते कि:

“सच्चा जादू किसी झील या टोने-टोटके में नहीं होता। सच्चा जादू है – ईमानदारी, दोस्ती, और दूसरों की मदद करने में!

नैतिक शिक्षा:

ईमानदारी, धैर्य और दूसरों की मदद करना ही जीवन का असली जादू है।